Cramping during Pregnancy in Hindi: Garbhavastha mai Aethan
गर्भावस्था के दौरान क्रेम्पिंग होना गर्भवती महिला के लिए बहुत ही चिंता का विषय हो सकता है। गर्भावस्था एक प्रकार से शरीर मे परिवर्तन और बदलाव का समय होता है, क्योंकि इस दौरान महिला के अंदर एक छोटा सा बच्चा विकसित हो रहा होता है। भले ही यह महिला की पहली या दूसरी-तीसरी प्रेगनेंसी हो, मगर हर प्रेगनेंसी का अपना अलग ही और अनूठा अनुभव होता है।
अक्सर महिलाये ऐसे समय मे शरीर मे होने वाले सेंसटीओन्स और अनुभूतियों को लेकर चिंतित रहती है। एक बच्चे को गर्भ मे विकसित करते समय गर्भवती महिला की मांसपेशियो, जोड़ो और नसों में बहुत दबाव बनने लगता है, इसलिए इस दारुण शरीर मे या पेट में असहज या असुविधाजनक महसूस करना आम बात हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले आम सेंसटीओन्स को ऐठन (क्रेम्पिंग) कहते है। क्रेम्पिंग एक तरह से मांसपेशियो के कंट्रक्शन की वजह से होने वाली अनुभूति होती है। यह क्रेम्पिंग कभी कभी साधारण या फिर दर्दनाक और uncomfortable भी हो सकती है। क्रेम्पिंग एक बहुत बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है या फिर खिंचाव और यूटेरस के बढ़ने का संकेत हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अतिरिक्त देखभाल की जरुरत होती है। एक छोटी सी भी भूल से गर्भपात का खतरा उत्पन्न हो सकता है। आइये जानते है Cramping During Pregnancy in Hindi.
अक्सर महिलाये ऐसे समय मे शरीर मे होने वाले सेंसटीओन्स और अनुभूतियों को लेकर चिंतित रहती है। एक बच्चे को गर्भ मे विकसित करते समय गर्भवती महिला की मांसपेशियो, जोड़ो और नसों में बहुत दबाव बनने लगता है, इसलिए इस दारुण शरीर मे या पेट में असहज या असुविधाजनक महसूस करना आम बात हो सकती है।
प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले आम सेंसटीओन्स को ऐठन (क्रेम्पिंग) कहते है। क्रेम्पिंग एक तरह से मांसपेशियो के कंट्रक्शन की वजह से होने वाली अनुभूति होती है। यह क्रेम्पिंग कभी कभी साधारण या फिर दर्दनाक और uncomfortable भी हो सकती है। क्रेम्पिंग एक बहुत बड़ी समस्या का संकेत हो सकता है या फिर खिंचाव और यूटेरस के बढ़ने का संकेत हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओ को अतिरिक्त देखभाल की जरुरत होती है। एक छोटी सी भी भूल से गर्भपात का खतरा उत्पन्न हो सकता है। आइये जानते है Cramping During Pregnancy in Hindi.
Cramping during Pregnancy in Hindi:
Jane Iske Pramukh Karan
गर्भावस्था के दौरान ऐठन की कई वजह हो सकती है, जो गर्भवती महिला के लिए परेशानी बन सकती है:
Garbhavastha ke Shuruwati Mahino mai
aethan Ke Karan:-
Aaropan ke Dauran Aethan (Implantation Cramping): आरोपण के दौरान बहुत सी महिलाओ को क्रेम्पिंग का अनुभव होता है। आमतौर पर आरोपण (implantation) अंडौन्सर्ग (ovulation) के 8-10 दिन बाद होता है। प्रेगनेंसी टेस्ट के सकारात्मक आने के बाद यह इम्प्लांटेशन क्रेम्पिंग नहीं होना चाहिए। हालाँकि, कुछ महिलाये इम्प्लांटेशन क्रेम्पिंग का अनुभव करती है, जिससे उन्हें ये पता चल जाता है की वो गर्भवती हो गयी है।
Gabhashay mai Khichav (Stretching Uterus): गर्भावस्था मे जैसे जैसे महिला का शरीर एक नए बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार होता है, महिला के गर्भाशय मे खिंचाव और विस्तार से होता है। लिगामेंट्स जो की यूटेरस को सपोर्ट करता है, उसमे भी खिंचाव होने लगता है, और यह खिंचाव क्रेम्पिंग उतपन्न कर सकता है और क्रेम्पिंग पैन होने लगता है।
Garbhpat (Miscarriage): गर्भावस्था के शुरुवाती महीनो मे अगर क्रेम्पिंग की अधिक समस्या होने लगती है और अगर साथ मे रक्त-स्राव भी होने लगे, तो यह गर्भपात का एक घातक संकेत हो सकता है।
Asthanik Garbhavastha (Ectopic Pregnancy): एक्टोपिक प्रेगनेंसी एक ऐसी अवस्था होती है, जब भ्रूण (fetus) गर्भ के बहार विकसित होने लगता है, आमतौर पर फॉलोपियन-ट्यूब मे यह एक गंभीर अवस्था होती है, जिसका चिकित्सीय इलाज करवाना बहुत ही आवश्यक होता है। ऐठन होना और पेट (विशेषकर पेट के एक तरफ) मे दर्द होना, स्पॉट जमना और रक्त बहना, आदि एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण होते है।
Anya Karan: गर्भावस्था के दौरान अक्सर गर्भवती महिला को क्रेम्प सिम्पटम्स जैसे की – कब्ज या गैस की समस्या हो जाती है। यह भी गर्भावस्था के दौरान ऐठन पैदा होने का कारण हो सकता है, क्योकि ऐसे मे कई बार महिला को दर्द होने लगता है और वह बहुत ही असजः महसूस करने लगती है।
Garbhavastha ke Antim Mahino mai
Cramping ke Karan:-
Asthi-Bandhan mai Dard (Round ligament pain): गर्भवती महिला मे उसके दूसरे और तीसरे तिमाही मे राउंड लिगमेंट मे दर्द उठाने की सम्भावना होती है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय बढ़ता है और गर्भाशय के बढ़ने और विकसित होने से लिगामेंट्स मे खिंचाव होने लगता है। इस वजह से क्रेम्पिंग पैदा होने लगती है।
Aparipakv Prasav (Preterm Labor): क्रेम्पिंग होना प्रीटर्म-लेबर का एक लक्षण हो सकता है। हल्का या गंभीर क्रेम्पिंग का दर्द होना, दस्त और पीठ दर्द, आदि प्रीटर्म-लेबर के संकेत हो सकते है। ऐसी स्तिथि आने पर स्त्री-रोग विशेषज्ञ को जल्द से जल्द संपर्क करे।
Braxton Hicks Contractions: गर्भावस्था के दौरान दूसरे और तीसरे तिमाही मे गर्भवती महिला को अनियमित संकुचन (contraction) हो सकते है, जो की गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन की वजह से होते है। अक्सर शुरुवात मे यह कंट्रक्शन दर्द-रहित होते है। इसका शोध जॉन ब्रेक्सटन हीकस ने किया था, इसलिए इस तरह के कॉन्ट्रक्शन्स को वर्ष 1872 मे ब्रेक्सटन हिकस कॉन्ट्रक्शन्स का नाम दिया गया।
Prakgarbhakshepak (Preeclampsia): प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था की एक असामान्य स्थिति होती है, जिसमे उच्च रक्तचाप, द्रव-प्रतिधारण (fluid retension) और श्वेतकमेह (albuminuria) जैसी समस्याए भी शामिल होती है, जिनका समय रहते इलाज न किया जाये, तो यह एक्लेमप्शन (eclampsia) को उत्पन्न कर सकती है। प्रीक्लेम्पसिया के दौरान उच्च रक्तचाप के साथ साथ मूत्र मे प्रोटीन भी मौजूद होने लगता है। गंभीर प्रीक्लेम्पसिया होने की स्तिथि मे गर्भवती महिला के पेट के ऊपरी हिस्से मे तेज़ दर्द पैदा हो सकता है।
Mutra Marg mai Sankraman (Urinary Tract infections): गर्भवती महिला को मूत्र मार्ग मे कई वजहों से संक्रमण हो सकता है। पेट के निचले भाग मे दर्द होना और दर्दनाक मूत्र विसर्जन होना आदि।
Placental Abruption: यह तब होता है, जब गर्भवती महिला मे बच्चे के जन्म से पहले उसके गर्भाशय से नाल (placenta) अलग हो जाती है। यह एक बहुत ही घातक स्थिति होती है, जो की बहुत ही दर्दनाक क्रेम्प उत्पन्न करती है। अगर आप या आपकी कोई परिचित गर्भवती महिला को यह समस्या होती है, तो जल्द से जल्द स्त्री-रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
ऊपर आपने जाना Cramping During Pregnancy in Hindi. अगर आप गर्भवती है और इस दौरान आप क्रेम्पिंग का अनुभव कर रही है, तो इसका कारण जरूर पता करें और अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करे।
Aparipakv Prasav (Preterm Labor): क्रेम्पिंग होना प्रीटर्म-लेबर का एक लक्षण हो सकता है। हल्का या गंभीर क्रेम्पिंग का दर्द होना, दस्त और पीठ दर्द, आदि प्रीटर्म-लेबर के संकेत हो सकते है। ऐसी स्तिथि आने पर स्त्री-रोग विशेषज्ञ को जल्द से जल्द संपर्क करे।
Braxton Hicks Contractions: गर्भावस्था के दौरान दूसरे और तीसरे तिमाही मे गर्भवती महिला को अनियमित संकुचन (contraction) हो सकते है, जो की गर्भाशय की मांसपेशियों के संकुचन की वजह से होते है। अक्सर शुरुवात मे यह कंट्रक्शन दर्द-रहित होते है। इसका शोध जॉन ब्रेक्सटन हीकस ने किया था, इसलिए इस तरह के कॉन्ट्रक्शन्स को वर्ष 1872 मे ब्रेक्सटन हिकस कॉन्ट्रक्शन्स का नाम दिया गया।
Prakgarbhakshepak (Preeclampsia): प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था की एक असामान्य स्थिति होती है, जिसमे उच्च रक्तचाप, द्रव-प्रतिधारण (fluid retension) और श्वेतकमेह (albuminuria) जैसी समस्याए भी शामिल होती है, जिनका समय रहते इलाज न किया जाये, तो यह एक्लेमप्शन (eclampsia) को उत्पन्न कर सकती है। प्रीक्लेम्पसिया के दौरान उच्च रक्तचाप के साथ साथ मूत्र मे प्रोटीन भी मौजूद होने लगता है। गंभीर प्रीक्लेम्पसिया होने की स्तिथि मे गर्भवती महिला के पेट के ऊपरी हिस्से मे तेज़ दर्द पैदा हो सकता है।
Mutra Marg mai Sankraman (Urinary Tract infections): गर्भवती महिला को मूत्र मार्ग मे कई वजहों से संक्रमण हो सकता है। पेट के निचले भाग मे दर्द होना और दर्दनाक मूत्र विसर्जन होना आदि।
Placental Abruption: यह तब होता है, जब गर्भवती महिला मे बच्चे के जन्म से पहले उसके गर्भाशय से नाल (placenta) अलग हो जाती है। यह एक बहुत ही घातक स्थिति होती है, जो की बहुत ही दर्दनाक क्रेम्प उत्पन्न करती है। अगर आप या आपकी कोई परिचित गर्भवती महिला को यह समस्या होती है, तो जल्द से जल्द स्त्री-रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
ऊपर आपने जाना Cramping During Pregnancy in Hindi. अगर आप गर्भवती है और इस दौरान आप क्रेम्पिंग का अनुभव कर रही है, तो इसका कारण जरूर पता करें और अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करे।

